अनंततरंग
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Tuesday, 19 September 2017
या वाटेवर
या वाटेवर किती श्वास गुंतले
तू कितीदा स्वप्न रुपेरी विणले
नभाशी अबोल नाते तरीही ,
मृगजळ ते , अंधारात विरले
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